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सुजानपुर कालेज में ‘लैंगिक संवेदनशीलता एवं युवा सोच’ विषय पर कार्यशाला आयोजित

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12 अगस्त 2023

सुजानपुर कालेज में ‘लैंगिक संवेदनशीलता एवं युवा सोच’ विषय पर कार्यशाला आयोजित

सुजानपुर 12 अगस्त। बाल विकास परियोजना अधिकारी कार्यालय सुजानपुर ने शनिवार को बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ योजना के तहत राजकीय महाविद्यालय सुजानपुर में ‘लैंगिक संवेदनशीलता एवं युवा सोच’ विषय पर एक कार्यशाला आयोजित की।

इस अवसर पर युवाओं से संवाद के दौरान बाल विकास परियोजना अधिकारी कुलदीप सिंह चौहान ने कहा कि लैंगिक संवेदनशील शिक्षा का उद्देश्य युवाओं के सामाजिक-मानसिक स्वास्थ्य का विकास कर उन्हें रूढ़ीवादी मान्यताओं से मुक्त करना है ताकि उनमें खुले विचारों का प्रवाह हो और बिना लिंगभेद के सभी को अपने जीवन में उपलब्ध विकल्पों की अधिकतम संभव सीमाओं को खोलने का अवसर प्राप्त हो।

कार्यशाला के दौरान मनोविज्ञानी शीतल वर्मा ने कहा कि महिला और पुरुष गुण, शील, व्यवहार अथवा क्षमता में दो विपरीत ध्रुव या किनारे हों, ऐसा नहीं है। महिला एवं पुरुषों के लिए वर्तमान में निर्धारित भूमिकाएं जैविक कारणों की अपेक्षा सामाजिक प्रभावों से अधिक पनपी हैं।

उन्होंने कहा कि लैंगिक संवेदीकरण का उद्देश्य समाज के इसी व्यवहार का संशोधन कर महिलाओं एवं पुरुषों के विचारों में परस्पर समान अनुभूति का विकास करना है। युवा इन तथ्यों को सामने लाकर और जर्जर हो चुकी सामाजिक व्यवस्थाओं को चुनौती देकर समाज की सेवा कर सकते हैं। यदि युवा विपरीत लिंग के लोगों में समान होने की अनुभूति अनुभव कराने में सफल होते हैं तो घर, कार्यस्थल और समाज में सकारात्मक एवं स्वीकार्य संस्कृति का निर्माण होगा तथा न्याय और समानता की भावना का समावेश होगा। महिलाओं में असुरक्षा, तनाव और चिंता की भावना जो वर्तमान में एक बड़ी समस्या का रूप धारण कर चुकी है, का समाधान करने में भी सहायक होगा। इससे महिलाओं में आत्मविश्वास और आत्मसम्मान की भावना जागृत होगी जो विकास के नए मार्ग खोलेगी।

इस अवसर पर राजकीय महाविद्यालय सुजानपुर के प्रधानाचार्य डॉ. अजायब सिंह बनियाल ने युवाओं से परस्पर विश्वास, सम्मान और विविधता को सहज स्वीकारने के मानवीय गुणों के लिए जनाधार का निर्माण करने और उसका विस्तार करने का आह्वान किया। उन्होंने युवाओं से स्वयं में सामाजिक विषयों पर विवेचनात्मक चिंतन की योग्यता का विकास करने का भी आह्वान किया। उन्होंने कहा कि ऐसा तभी संभव है जब वे अपनी स्वतंत्र सोच विकसित करें और और उन सामाजिक ताकतों का सामना करें जिनसे इन मूल्यों को खतरा है।

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